चर्चित असम आंदोलन के बाद गुवाहाटी की सड़कों पर ऐसा जनसैलाब पहली बार दिखा है. उस दौरान युवा रहे लोग अब बुज़ुर्ग हो चुके हैं.
उन्हें वे पुरानी कहानियाँ याद हैं, जब असमिया अस्मिता की लड़ाई में सैकड़ों लोगों को अपनी जानें गँवानी पड़ी थीं. अब वे उसकी पुनरावृत्ति नहीं चाहते.
तब के बच्चे अब जवान हैं. वे 'जय अखम' का नारा लगाते हुए सड़कों पर उतर चुके हैं. 'कैब' ने उन्हें एकजुट कर दिया है.
ऐसे में बड़ा सवाल यह कि इतने बड़े आंदोलन का नेतृत्व कौन कर रहा है. क्या यह स्वत:स्फूर्त जन आंदोलन है, या फिर इसकी कमान किसी व्यक्ति या संगठन के हाथों में है.